Sarhad ko Pranam (Rajasthan Kshetra Jodhpur Prant)

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                                Sarhad ko pranam 1.JPG

                                
जोधपुर 23 नवम्बर 2012.   “सरहद को प्रणाम – 2012” राष्ट्र जागरण का एक अनुठा कार्यक्रम। इस
अनूठे कार्यक्रम के द्वारा भारत की सम्पूर्ण जमीनी सरहद जो की 15106.7 किलो
मीटर है , पर देश के प्रत्येक जिले से नवयुवको की टोलिया 19 से 23 नवम्बर
2012 तक सीमाओ पर जाकर सैनिकों , प्रशाशन एवं आम जन से संवाद सम्पन्न किया।

यह कार्यक्रम फोरम फॉर इंटिग्रेटेड नेशनल सिक्योरिटी (FINS) द्वारा
आयोजित किया जा रहा है , राजस्थान में सीमाजन कल्याण समिति ने इस कार्यक्रम
को सम्पन्न किया है।
जोधपुर में हुई प्रेस वार्ता को फिन्स राजस्थान चेप्टर के अध्यक्ष जे पी
मिश्रा  सेवानिव्रत आई पी एस अधिकारी तथा उपाध्यक्ष ब्रिगेडीअर वी डी
 निर्वाण ने संबोधित किया। फिन्स के सदस्य गजेन्द्र सिंह शेखावत ने फिन्स
के बारे में विस्तृत रूप से बताया।
 10000 से अधिक की संख्या में देश के नानाविध
भाषाभाषी व् जाती, पंथ व् डालो के युवको ने इस अनूठे कार्यक्रम में हिस्सा
लिया। देश के 800 से अधिक जिलो के युवको ने 469 के लगभग सीमा चोकियों पर
जाकर संवाद करने एवं प्रत्यक्ष सीमा देखने का अति उत्साहपूर्ण कार्यक्रम
सम्पन्न किया और वे अब अपने घरो को लौट रहे है एक न भूलने वाला अनुभव लेकर।
हुए थे। इसी क्रम में राजस्थान के चार
सीमान्त जिलो पर यह कार्यक्रम संपन्न हुआ।

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lEidZ dqy xkao 430 में हुआ तथा कुल  QksYMj 15000 का वितरण किया गया तथा  jkf[k;ka cka/kh
8000 गई .

 

बीकानेर जिले के गंगाशहर
 में आधार शिविर में कुल 13 राज्यों के 32 जिलो से 225 युवाओ ने 14 तोलिया
बनाकर भाग लिया। प्रत्येक टोली में 10 से 13 राज्यों का प्रतिनिधितव रहा।
सभी टोलिया  आवश्यक प्रशिक्षण प्राप्त कर 8 खाजूवाला  क्षेत्र, 6 बज्जू
क्षेत्र से 20 नवम्बर को पैदल यात्रा प्रारंभ की। 22 नवम्बर सायंकाल 4 बजे
तक सभी टोलियों ने 15 से 25 किलोमीटर की पैदल यात्रा द्वारा जनसंपर्क किया।
दोपहर 11 बजे सभी टोलियों ने अपने अपने सीमान्त क्षेत्र में मानव श्रंखला
निर्मित की। इस यात्रा के द्वारा सभी युवको ने जन संपर्क किया उन्हें एक
सन्देश वितरित किया तथा संकल्प सूत्र बांधकर ग्रामवासियों के साथ देश रक्षा
का संकल्प लिया . सभी धार्मिक, सांस्कृतिक स्थानों पर जाकर संकल्प के साथ
यह शपथ ली की देश के सीमायें अब एक इंच भी कम नहीं होने देंगे। सभी टोलियों
ने प्रात : राष्ट्र ध्वज तिरंगा को लहराकर राष्ट्र गान के साथ अपनी अपनी
यात्रायें प्रारंभ की।

अपनी सीमाओं पर देशवासियों की सीमा के अन्दर, बाहर  और सीमा पर नज़र
होना यह सुरक्षा, सम्मान समृधि , अखंडता एवं एकता के लिए अत्यंत मतःव्पूर्ण
है। सीमा से प्राप्त जानकारी के अनुसार हम सरकार एवं प्रशासन को सचेत करने
व् कदम उठाने हेत सावधान करते है की सर्कार अपने दायित्वों को पूर्ण करे
जिससे अब एक जन भारतीय मरे नहीं और न ही एक इंच भारत कटे व् घटे।


1. चारो तरफ बढ़ रही विदेशी घुसपेठ, आतंकी, नक्सल एवं हथियारों के आवागमन पर रोक लगे।
2.
जमीन पर तैयारी  हेतु सीमान्त के गाँव जांव में सर्कार की और से प्रशासन
के साथ सजीव संपर्क में रहते हुए ग्राम सुरक्षा समितियों का गठन किया जाये।
जिन्हें सुरक्षा हेतु प्रशिक्षित कर तैयार रखा जाये।
3. सैनिक, अर्ध सैनिक बल व् कानून व्यवस्था से जुड़े लोगो को खतरे से निपटने हेतु आधुनिक एवं प्रभावी प्रशिक्षण हो।
4.
संसद के दोनों सत्रों में पारित व् एक मत दोनों प्रस्ताव क्रमश: 14 नवम्बर
1962 एवं 22 फरवरी 1994 के संसदीय संकल्प को याद  रख सरकार  चीन तथा
पाकिस्तान आदि के कब्जे में एक एक इंच भारतीय भू-भाग को खाली करवाने की
योजना का प्रारूप बनाकर उसपर कार्यवाही करे।
5. राष्ट्रिय सुरक्षा नीति का अभाव देश की सुरक्षा, स्वंतंत्रता एवं अखंडता के लिए भारी खतरा है।
6. हमारी सीमाए व सीमाजन के हौसले बुलंद करने हेतु आवश्यक है की सीमाओं से
पलायन व् उदासी दूर हो।  इसके लिए विकसित (यातायात, जल, प्रकाश, शिक्षा,
कृषि व् रोजगार), जागरूक (पर्याप्त सैनिक , अर्ध सैनिक बल एवं जनता की
ग्राम सुरक्षा समितियां ), स्वस्थ्य (उपचार हेतु अस्पताल ), एकजुट (जाति ,
पंथ, भाषा व् दल से ऊपर उठा हुआ) सीमा एवं सीमावासी हो . इसके लिए
केन्द्रियाकेंद्रिया एवं सम्बंधित प्रान्तों में विशेष सीमत आयोग का गठन
करना चाहिए। हमारी सीमाए किसी भी हालात में पिछडी , अविकसित व् आपसी झगडे
वाली न हो।

7. विदेशी घुसपेठियों , आतंकी, नक्सल , अलगाववादी व् मतान्तरण वादी,
सर्वपंथ  समभाव  याने राष्ट्रीयता व् खुशाली के दुश्मन है उन्हें सर्कार
पीला नहीं बल्कि दण्डित करे ताकि भयग्रस्त व् कमजोर सत्ता नहीं बल्कि कुशल
एवम  मजबूत सत्ता का संकेत इन ताकतों को मिले। इससे हम कूटनीति के मेज पर
हरने वाला नहीं बल्कि विजयी याने अपने हितो की रक्षा करने वाले देश के रूप
में पहचाने जायेंगे।

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