VSK TN
भारत में रहने वाला हर मतावलम्बि हिन्दू – संत सीताराम
–
देशभर के गावों में पदयात्रा कर रहे संत का भीलवाड़ा में प्रवास
देशभर के गावों में पदयात्रा कर रहे संत का भीलवाड़ा में प्रवास
–
राष्ट्रवादी बहुसंख्यक मुसलमानों को सामने आने का आह्वान
राष्ट्रवादी बहुसंख्यक मुसलमानों को सामने आने का आह्वान
–
ग्राम स्वावलम्बन ही हर समस्या का हल
ग्राम स्वावलम्बन ही हर समस्या का हल
–
अंग्रेजी शिक्षा कुसंस्कृति की पोषक
अंग्रेजी शिक्षा कुसंस्कृति की पोषक
–
समाज में हर जगह घुसने पर राजनीति ने किया बंटाधार
समाज में हर जगह घुसने पर राजनीति ने किया बंटाधार
–
गाय को त्यागने वाला भी पाप का भागी
गाय को त्यागने वाला भी पाप का भागी
बदनोर, भीलवाड़ा, 9 अगस्त।
देशभर में ग्राम
स्वराज की स्थापना और
भाईचारे का संदेश देने
के उद्देश्य से
गांव–गांव पद
यात्रा कर रहे
संत सीताराम ने
कहा कि इस
देश में रहने
वाला हर व्यक्ति हिन्दू
है। चाहे वह
किसी भी मत
या परम्परा को
निभाने वाला हो।
वह चाहे शिव
की पूजा करता
हो या मस्जिद
में नमाज पढ़ता
हो। इससे कोई
फर्क नहीं पड़ता
है।
देशभर में ग्राम
स्वराज की स्थापना और
भाईचारे का संदेश देने
के उद्देश्य से
गांव–गांव पद
यात्रा कर रहे
संत सीताराम ने
कहा कि इस
देश में रहने
वाला हर व्यक्ति हिन्दू
है। चाहे वह
किसी भी मत
या परम्परा को
निभाने वाला हो।
वह चाहे शिव
की पूजा करता
हो या मस्जिद
में नमाज पढ़ता
हो। इससे कोई
फर्क नहीं पड़ता
है।
बदनोर के
आदर्श
विद्या
मंदिर
उच्च
प्राथमिक विद्यालय में
ईद
के
शुभअवसर पर
मुस्लिम मतावलम्बियों को
संबोधित करते
हुए
संत
सीताराम ने
कहा
कि
जब
कोई
मुसलमान भाई
मक्का
मदीना
जाता
है
तो
उसे
हिन्दु–मुसलमान कहकर सम्बोधित किया
जाता
है।
मक्का–मदीना में जो
वेशभूषा पहनने
के
लिए
दी
जाती
है
वह
भारत
के
दक्षिण
के
मंदिरों में
यह
परम्परा सदियों
से
प्रचलित है।
जिस
तरह
से
सजदा
किया
जाता
है
तमिलनाडु के
मंदिरों में
भी
ऐसे
ही
पूजा
की
जाती
है।
कहीं
कोई
फर्क
नहीं
है।
सबकुछ
मिलता–जुलता है।
आदर्श
विद्या
मंदिर
उच्च
प्राथमिक विद्यालय में
ईद
के
शुभअवसर पर
मुस्लिम मतावलम्बियों को
संबोधित करते
हुए
संत
सीताराम ने
कहा
कि
जब
कोई
मुसलमान भाई
मक्का
मदीना
जाता
है
तो
उसे
हिन्दु–मुसलमान कहकर सम्बोधित किया
जाता
है।
मक्का–मदीना में जो
वेशभूषा पहनने
के
लिए
दी
जाती
है
वह
भारत
के
दक्षिण
के
मंदिरों में
यह
परम्परा सदियों
से
प्रचलित है।
जिस
तरह
से
सजदा
किया
जाता
है
तमिलनाडु के
मंदिरों में
भी
ऐसे
ही
पूजा
की
जाती
है।
कहीं
कोई
फर्क
नहीं
है।
सबकुछ
मिलता–जुलता है।
उन्होंने कहा
कि
इस्लाम
का
अर्थ
ही
शांति
है।
उन्होंने कहा
कि
वे
केरल
व
अन्य
कई
राज्यों में
मुसलमान भाईयों
से
मिले।
सबने
एकसुर
में
उग्रवाद की
भर्त्सना की।
उनका
कहना
था
कि
कुछ
गिने–चुने लोग पूरी
कौम
को
बदनाम
करने
में
लगे
हुए
हैं।
उन्होंने मुस्लिम भाईयों
से
अपील
की
कि
वे
इन
गिनेचुने लोगों
की
सामने
आकर
कड़े
शब्दों
में
भर्त्सना करें।
जब
अच्छे
मुसलमान भाई
एकसाथ
खड़े
होंगे
तो
ये
कुछ
लोग
अपने
आप
ही
पीछे
हट
जाएंगे। राष्ट्रीय मुस्लिम मंच
नाम
से
एक
ऐसा
ही
संगठन
है
जो
इस
दिशा
में
कार्य
कर
रहा
है।
इसकी
अब
तक
25 राज्यों में
कमेटियां स्थापित हो
चुकी
हैं।
कि
इस्लाम
का
अर्थ
ही
शांति
है।
उन्होंने कहा
कि
वे
केरल
व
अन्य
कई
राज्यों में
मुसलमान भाईयों
से
मिले।
सबने
एकसुर
में
उग्रवाद की
भर्त्सना की।
उनका
कहना
था
कि
कुछ
गिने–चुने लोग पूरी
कौम
को
बदनाम
करने
में
लगे
हुए
हैं।
उन्होंने मुस्लिम भाईयों
से
अपील
की
कि
वे
इन
गिनेचुने लोगों
की
सामने
आकर
कड़े
शब्दों
में
भर्त्सना करें।
जब
अच्छे
मुसलमान भाई
एकसाथ
खड़े
होंगे
तो
ये
कुछ
लोग
अपने
आप
ही
पीछे
हट
जाएंगे। राष्ट्रीय मुस्लिम मंच
नाम
से
एक
ऐसा
ही
संगठन
है
जो
इस
दिशा
में
कार्य
कर
रहा
है।
इसकी
अब
तक
25 राज्यों में
कमेटियां स्थापित हो
चुकी
हैं।
Badanor, Rajasthan
अब तक
केरल,
तमिलनाडु, कर्नाटक, महाराष्ट्र, गोवा,
गुजरात
राज्यों के
गावों
की
पैदल
यात्रा
करने
के
बाद
3 जुलाई
को
राजस्थान में
प्रवेश
करने
वाले
64 वर्षीय
संत
सीताराम ने
कहा
कि
जिस
तरह
प्रकृति में
हर
जीव,
जन्तु,
पत्थर,
पानी,
पेड़
आदि
को
अलग–अलग बनाया गया
है।
और
वे
सब
मिलजुलकर आनन्दमय होकर
जीते
हैं
उसी
तरह
मानव
मात्र
को
भी
अपने
बाह्रीय स्वरूप
को
ध्यान
ना
देते
हुए
सबके
भीतर
एक
ही
मालिक
के
ज्ञान
को
स्वीकार करते
हुए
शांतिमय जीवन
जीना
चाहिए।
केरल,
तमिलनाडु, कर्नाटक, महाराष्ट्र, गोवा,
गुजरात
राज्यों के
गावों
की
पैदल
यात्रा
करने
के
बाद
3 जुलाई
को
राजस्थान में
प्रवेश
करने
वाले
64 वर्षीय
संत
सीताराम ने
कहा
कि
जिस
तरह
प्रकृति में
हर
जीव,
जन्तु,
पत्थर,
पानी,
पेड़
आदि
को
अलग–अलग बनाया गया
है।
और
वे
सब
मिलजुलकर आनन्दमय होकर
जीते
हैं
उसी
तरह
मानव
मात्र
को
भी
अपने
बाह्रीय स्वरूप
को
ध्यान
ना
देते
हुए
सबके
भीतर
एक
ही
मालिक
के
ज्ञान
को
स्वीकार करते
हुए
शांतिमय जीवन
जीना
चाहिए।
9
अगस्त
2012 को
कन्याकुमारी से
पैदल
ही
भारत
परिक्रमा यात्रा
शुरू
करने
वाले
संत
सीताराम ने
बाद
में
विद्यालय परिसर
में
ही
पत्रकारों के
सवालों
का
जवाब
देते
कहा
कि
आर्थिक
मंदी
को
भुगतने
के
बाद
दुनिया
के
आर्थिक
विशेषज्ञ अब
मान
रहे
हैं
कि
भारत
की
वस्तु
विनिमय
आधारित
प्राचीन अर्थव्यवस्था ही
दुनिया
को
मंदी
से
उबार
सकती
है
साथ
ही
ऐसे
झटके
भविष्य
में
ना
लगें
इसका
उपाय
भी
कर
सकती
है।
अगस्त
2012 को
कन्याकुमारी से
पैदल
ही
भारत
परिक्रमा यात्रा
शुरू
करने
वाले
संत
सीताराम ने
बाद
में
विद्यालय परिसर
में
ही
पत्रकारों के
सवालों
का
जवाब
देते
कहा
कि
आर्थिक
मंदी
को
भुगतने
के
बाद
दुनिया
के
आर्थिक
विशेषज्ञ अब
मान
रहे
हैं
कि
भारत
की
वस्तु
विनिमय
आधारित
प्राचीन अर्थव्यवस्था ही
दुनिया
को
मंदी
से
उबार
सकती
है
साथ
ही
ऐसे
झटके
भविष्य
में
ना
लगें
इसका
उपाय
भी
कर
सकती
है।
ग्राम स्वालम्बन ही उपाय
उन्होंने कहा
कि
गांवों
के
स्वावलंबी बनने
में
ही
देश
का
भला
है।
उन्होंने कहा
कि
पहले
गांव
में
ही
स्वरोजगार के
सारे
माध्यम
उपलब्ध
होते
थे।
लुहार,
बढ़ई,
नाई,
सुथार,
सुनार,
कुम्हार, किसान,
शिक्षक,
वैद्य
सब
अपना–अपना कार्य करते
थे।
और
एक
दूसरे
का
सहयोग
करते
थे।
किसी
को
शहर
की
ओर
पलायन
की
जरूरत
ही
नहीं
होती
थी।
लेकिन
इस
अंग्रेजी शिक्षा
पद्धति
ने
स्वालम्बन की
प्रक्रिया का
नाश
कर
हमें
गुलामी
की
ओर
ढकेल
दिया
है।
कि
गांवों
के
स्वावलंबी बनने
में
ही
देश
का
भला
है।
उन्होंने कहा
कि
पहले
गांव
में
ही
स्वरोजगार के
सारे
माध्यम
उपलब्ध
होते
थे।
लुहार,
बढ़ई,
नाई,
सुथार,
सुनार,
कुम्हार, किसान,
शिक्षक,
वैद्य
सब
अपना–अपना कार्य करते
थे।
और
एक
दूसरे
का
सहयोग
करते
थे।
किसी
को
शहर
की
ओर
पलायन
की
जरूरत
ही
नहीं
होती
थी।
लेकिन
इस
अंग्रेजी शिक्षा
पद्धति
ने
स्वालम्बन की
प्रक्रिया का
नाश
कर
हमें
गुलामी
की
ओर
ढकेल
दिया
है।
अंग्रेजी शिक्षा पद्धति विनाशकारी
पूर्व में
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ
के
वरिष्ठ
प्रचारक रहे
संत
सीताराम ने
कहा
कि
अंग्रेजी शिक्षा
पद्धति
ने
देश
का
बहुत
बड़ा
नुकसान
किया
है।
अंग्रेजी शिक्षा
पद्धति
व्यक्ति को
मानव
नहीं
बल्कि
दूसरे
व्यक्ति का
शोषण
करने
वाला
बनाती
है।
वह
व्यक्ति को
पैसा
बनाने
वाली
मशीन
के
रूप
में
तैयार
करती
है।
और
बताती
है
कि
वह
दुनिया
में
पैसे
से
हर
चीज
को
खरीद
सकता
है।
उन्होंने कहा
कि
अंग्रेज तो
चले
गए
लेकिन
हमनें
अंग्रेजों को
नहीं
छोड़ा।
अंग्रेजों की
भाषा,
पहनावा
और
व्यवहार ही
हमारा
विनाश
का
कारण
बन
रहा
है।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ
के
वरिष्ठ
प्रचारक रहे
संत
सीताराम ने
कहा
कि
अंग्रेजी शिक्षा
पद्धति
ने
देश
का
बहुत
बड़ा
नुकसान
किया
है।
अंग्रेजी शिक्षा
पद्धति
व्यक्ति को
मानव
नहीं
बल्कि
दूसरे
व्यक्ति का
शोषण
करने
वाला
बनाती
है।
वह
व्यक्ति को
पैसा
बनाने
वाली
मशीन
के
रूप
में
तैयार
करती
है।
और
बताती
है
कि
वह
दुनिया
में
पैसे
से
हर
चीज
को
खरीद
सकता
है।
उन्होंने कहा
कि
अंग्रेज तो
चले
गए
लेकिन
हमनें
अंग्रेजों को
नहीं
छोड़ा।
अंग्रेजों की
भाषा,
पहनावा
और
व्यवहार ही
हमारा
विनाश
का
कारण
बन
रहा
है।
जिसने गाय को त्याजा वो भी हत्यारा
संत सीताराम ने
कहा
कि
गौहत्या की
सबसे
पहले
हत्या
वो
करता
है
जो
उसका
त्याग
करता
है।
उसे
सड़कों
पर
मरने
के
लिए
छोड़
देता
है।
उन्होंने कहा
कि
लोग
गऊ
माता
का
त्याग
नहीं
करेंगे। तो
अपने
आप
ही
गायों
का
संरक्षण हो
जाएगा।
कहा
कि
गौहत्या की
सबसे
पहले
हत्या
वो
करता
है
जो
उसका
त्याग
करता
है।
उसे
सड़कों
पर
मरने
के
लिए
छोड़
देता
है।
उन्होंने कहा
कि
लोग
गऊ
माता
का
त्याग
नहीं
करेंगे। तो
अपने
आप
ही
गायों
का
संरक्षण हो
जाएगा।
राजनीति ने किया बंटाधार
संत सीताराम ने
कहा
कि
समाज
के
हर
क्षेत्र में
राजनीतिक के
घुस
आने
से
पूरे
तंत्र
का
बंटाधार हो
गया
है।
यही
समाज
के
पतन
का
मूल
कारण
है।
कहा
कि
समाज
के
हर
क्षेत्र में
राजनीतिक के
घुस
आने
से
पूरे
तंत्र
का
बंटाधार हो
गया
है।
यही
समाज
के
पतन
का
मूल
कारण
है।
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