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जयपुर 17 मार्च। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सर कार्यवाह सुरेश जोशी (भैय्या जी जोशी ) ने रविवार को जयपुर में संवाददाता सम्मेलन में कहा कि देश की सीमा क्षेत्र में पाकिस्तान द्वारा बर्बरता का परिचय देना, प्रति रक्षा सौदों पर प्रष्न चिह्न लगना, महिला उत्पीडन की वेदनादायक घटनाएं आदि से देश में जो परिस्थितियां बनी है वे संघ के साथ ही समस्त देश भक्तों के लिए चिंता का विषय है। अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा ने सभी विषयों पर चर्चा कर प्रस्ताव और व्यक्तव्य के माध्यम से समाज के सामने यह विषय लाने का प्रयास किया है।
सर कार्यवाह माननीय सुरेश जी जोशी “भैय्या जी जोशी” एवं माननीय मनमोहन जी वैध्य
उन्होंने अखिल भारतीय प्रतिनिधि में तीन दिन तक चले मंथन के बारे में मीडिया को बताया कि पाकिस्तान और बंगलादेश में हिन्दुओं पर हो रहे अन्तहीन अत्याचारों के परिणामस्वरूप वे लगातार बड़ी संख्या में शरणार्थी बनकर भारत में आ रहे हैं। यह बहुत ही लज्जा एवम् दुःख का विषय है कि इन असहाय हिन्दुओं को अपने अपने मूल स्थान और भारत दोनों में ही अत्यंत दयनीय जीवन बिताने को विवश होना पड़ रहा है।
बंगलादेश के बौद्धों सहित समस्त हिन्दुओं एवं उनके पूजास्थलों पर वहाँ की हिंदु और भारत विरोधी कुख्यात जमाते इस्लामी सहित विभिन्न कट्टरपंथी संगठनों द्वारा हाल ही में किये गए हमलों की तीव्र निंदा की गई। पाकिस्तान के हिंदु सुरक्षा, सम्मान और मानवाधिकारों से वंचित निम्न स्तर का जीवन बिता रहे हैं। सिक्खों सहित समस्त हिन्दुओं पर नित्य हमले आम बात है। बलपूर्वक मतान्तरण, अपहरण, बलात्कार, जबरन विवाह, हत्या और धर्मस्थलों को विनष्ट करना वहाँ के हिन्दुओं के प्रतिदिन के उत्पीडि़त, जीवन का भाग हो गये हैं। पाकिस्तान की कोई भी संवैधानिक संस्था उनकी सहायता के लिए आगे नहीं आती है। परिणामस्वरूप पाकिस्तान के हिंदु भी पलायन कर भारत में शरण मांगने को विवश हो रहे हैं। 1950 के नेहरु-लियाकत समझौते में यह स्पष्ट रूप से कहा गया है कि दोनों देशों में अल्पसंख्यकों को पूर्ण सुरक्षा और नागरिकता के अधिकार प्रदान किये जायेंगे। भारत में हर संवैधानिक प्रावधान का उपयोग तथाकथित अल्पसंख्यकों को न केवल सुरक्षा प्रदान करने के लिए किया गया अपितु उनको तुष्टिकरण की सीमा तक जानेवाले विशेष प्रावधान भी दिए गए। वे आज भारत में जनसांख्यिकी, आर्थिक, शैक्षिक, और सामाजिक सभी दृष्टि से सुस्थापित हैं। इसके विपरीत, पाकिस्तान और बंगलादेश के हिंदु लगातार उत्पीडन के परिणामस्वरूप घटती जनसंख्या, असीम गरीबी, मानवाधिकारों के हनन और विस्थापन की समस्याओं से ग्रस्त है। पूर्व और पश्चिम पाकिस्तान में विभाजन के समय हिन्दुओं की जनसंख्या क्रमशः 28ः और 11ः थी तथा खंडित भारत में 8ः मुस्लिम थे। आज जब भारत की मुस्लिम आबादी 14ः तक बढ़ गयी है वहीं बंगलादेश में हिंदु घटकर 10ः से कम रह गए है और पाकिस्तान में वे 2 प्रतिशत से भी कम है।
इस हृदय विदारक दृश्य को देखते हुए भारत सरकार से यह अनुरोध करती है कि इन दोनों देशों में रहनेवाले हिन्दुओं के प्रश्न पर नए दृष्टिकोण से देखे, क्योंकि उनकी स्थिति अन्य देशों में रहनेवाले हिन्दुओं से पूर्णतया अलग है। इसी के साथ मांग की गई है कि बंगलादेश और पाकिस्तान की सरकारों पर वहाँ के हिन्दुओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए दबाव बनाए, राष्ट्रीय शरणार्थी एवं पुनर्वास नीति बनाकर इन दोनों देशों से आनेवाले हिन्दुओं के सम्मानजनक जीवन यापन की व्यवस्था भारत में तब तक करें जब तक कि उनकी सुरक्षित और सम्मानजनक वापसी की स्थिति नहीं बनती, बंगलादेश और पाकिस्तान से विस्थापित होनेवाले हिन्दुओं के लिए दोनों देशों से उचित क्षतिपूर्ति की मांग करे, संयुक्त राष्ट्र संघ के शरणार्थी तथा मानवाधिकार से सम्बंधित संस्थाओं ख्न्छभ्ब्त्ए न्छभ्त्ब्, से यह मांग करे कि हिन्दुओं व अन्य अल्पसंख्यकों की सुरक्षा व सम्मान की रक्षा के लिए वे अपनी भूमिका का निर्वाह करें।
महिला उत्पीडन और सरकार द्वारा सेक्स की आयु घटाने के सवाल पर उन्होंने कहा कि देश मंे प्राचीन काल से ही महिलाएं श्रद्धा और आदर का केन्द्र रही है। वर्तमान परिस्थितियों मंे महिलाओं की सामाजिक भूमिका पर समाज जागरण की आवश्यकता है। इसके लिए परिवार और समाज में नैतिक मूल्यों की स्थापना अत्यन्त आवश्यक है। सेक्स की आयु घटाने के जवाब में उन्होंने कहा कि यह देश के लिए ठीक नही है और संघ इसका विरोध करता है।