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चेन्नई संदॆश
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५-४-२०१३
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५-४-२०१३
बहुराष्ट्रीय कंपेनि को सर्वॊच्च न्यायालय की चॆतावनी
चेन्नई स्थित इंटलेक्चुअल प्रापर्टी अप्पलेट बॊर्ड के अफ़सर लोग इन दिनों खुश हैं और वह उचित भी है. सर्वोच्च न्यायलय ने १ अप्रेल को बोर्ड की एक आदेश को सही बताते हुऎ कैंसर की दवा ’गिलवेक’ उत्पादन करनेवाला स्विस देश के बहुराष्ट्रीय कंपेनि ’नोवार्टिस’ की पॆटंट याचिका को खारिज़ कर दिया. कंपेनी यदी पॆटंट हासिल कर लिया हो तो अन्य सब भारतीय कंपेनियां उस दवा की उत्पादन में नहीं लग सकते. एक कैंसर मरीज़ यदि ’नोवार्टिस’ की ’गिलवेक’ लेता है तो महीने भर का लागत रु.१.२ लाख हो जाता है, जबकि स्वदेशी कंपेनियों की दवा लॆं तो सिर्फ़ रु. ८,००० प्रति माह है. इसका अर्थ यह है कि गरीब लॊग कैंसर की इलाज से वंचित रह जायेंगे और कैंसर मरीज़ॊं को मदद कर रहॆ स्वयंसेवी संस्था भी दिक्कत में पड जायेंगे. सारे विश्व के दवा कंपेनियॊं का ध्यान आकर्षित करनेवाला सर्वॊच्च न्यायलय की इस फ़ैसला से कैंसर मरीज़ के लिये दवा बनाने में स्वदेशी कंपेनियों के अडचनें हटेंगे.
चाहियॆ पडोसी देश के मछ्वारों के बीच प्रेम
अखिल भारतीय मत्स्य मज़्दूर महासंघ की अखिल भारतीय बैठक फ़रवरी १७ को तमिलनाडु के रामेश्वरम् में आयोजित हुआ. पांच राज्य के प्रतिनिधि सम्मिलित हुए. तमिलनाडु (भारत) तथा श्रीलंका के मछ्वारों के बीच अनौपचारिक रूप से एक संधी है जिसके अनुसार यहां के मछ्वारे वहां और वहां के यहां मछली पकड सकते.इस संधी को राज्य तथा केन्द्र सरकार औपचारिक रूप दॆं, महासंघ ने यह मांग उठाया. तमिलनाडु के मछुवारे बार बार लंकाई नॆवी द्वारा सताये जा रहे हैं, इसलिये यह मांग महत्वपूर्ण है. मछ्वारों के हित के लिये केन्द्र सरकार में एक कैबिनेट मंत्री नियुक्त हो, यह भी प्रस्ताव पारित हुआ. मछ्वारों के बीच सक्रिय हिन्दु कार्यकर्ता दबल्यू. संकरसुब्रमणियन् महासंघ के महामंत्री मनोनीत हुए.
मानव की चिंता, न कि पेड पौधॊं की
आया ग्रीष्म काल. लेकिन जिला विरुदुनगर का राजपालयम् शहर निवासीयों में से कई लोगों को पेय जल संकट से बिलकुल चिंता नहीं. कारण, वहां के विध्युत उपकरण विक्रेता रामसुब्रमणिय राजा का ’जल दान’. संकट के दिन,१२,००० लिट्टर औसत से ३० टैंकर ट्रक पानी प्रति दिन राजा के सिंचायी कुऎ से नगर वासियॊ को नि:शुल्क दिया जाता है. गत १० साल से यह पुण्य कार्य अबाधित रूप से संपन्न होता है. ऐसा ही एक साल जल संकट उग्र रूप ले लिया. राजा के खेत में काम करने वाले उस साल जल दान को विराम देने की सलाह दी, तकि फ़सल का हानी टाल सकते. रामसुब्रमणिय राजा ने साफ़ इनकार की और बोले, ”जब मानव पानी के लिये तरस रहे हैं पेड पौधों की विषय में कैसे मैं सोच सकता?”