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चेन्नई सन्देश
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संवाद भी, संस्कार भी
मार्च 29, 2013
रेल यात्रियों पर अन्याय; त्राता बना तमिलनाडु ग्राहक पंचायत!
गये दिन रेल बोर्ड ने ग्राहक के सामने, याने रेल यात्री के सामने, सर झुकाया. अडवकेट राजेन्द्रन, जो अखिल भारतीय ग्राहक पंचायत के तमिलनाडु इकाई के कार्यकर्ता हैं, चेन्नई उच्च न्यायालय का दरवाज़ा खटखटाया. न्यायालय का सक्षम हस्तक्षेप से उक्त मामला गटी. बात इस प्राकार की है: चेन्नई – तिरुचिराप्पल्ली एक्स्प्रेस चेन्नई से तंजावूर मार्ग से तिरुचिराप्पल्ली तक का है. सुबे ८.१५ से शाम ५.५० तक इसका यात्रा काल है. याने दिन का गाडी है, बेर्थ की आवश्यकता ही नही. लेकिन सीट आरक्षण मांगनेवाले यात्रियों से बेर्थ का पैसा वसूला जा रहा था, न कि सीट का. इस अन्याय को बन्ध कराने के लिये ग्राहक पंचायत के कई कार्यकर्ता मांग पत्र में उसी ट्रेन के यात्रियों से ३,००० हस्ताक्षर (पी.एन.आर संख्या सहित) इकट्टा की और उसे रेल अधिकारी को दिया. जब रेल अधिकारी का जवाब असमाधानकारक निकला, ग्राहक पंचायत को कानूनी मार्ग अपनाना पडा. फलस्वरूप हर यात्री को अब एक टिकेट पर रू. २०० नहीं, रू. १०० लगता है. याने अभी तक रेल बोर्ड हर साल करोडों रुप्ये यात्रियों से लूट रहा था. न्यायालय के आदेश पर ३ ’चेयर कार’ डिब्बे जोडे जाने पर अब ग्राहक पंचायत की वज़ह से प्रति दिन ६०० यात्री अन्याय से बच रहे हैं.
चेन्नई कैंसर अस्पताल को जलदी ही राष्ट्रीय गौरवम्?
आदुनिक भारत की पहला लेडी डाक्टर मुथुलक्ष्मि द्वारा संस्थापित चेन्नै के अडयार इलाके का कैंसर अस्पताल (अडयार कैंसर इंस्टिट्यूट) ६० साल से कैंसर इलाज़ के लिये पूरा भारत में प्रसिद्ध है. कुछ साल पहलॆ इस अस्पताल को भारत के सर्वस्रेष्ट अस्पताल घोषित की है विश्व स्वास्थ्य संस्था (डबलयू. हेच. ऒ) ने. यहां उपलब्द ४२३ बिस्तर से २९७ निश्शुल्क है. हर साल १,२५,००० रोगी यहा चिकित्सा प्राप्त करते हैं. इन में ६६% गरीब हैं. गत ३० साल से राज्य सरकार से मदद मिल्ती है. गत हफ़्ते मुख्य मंत्री जयललिता ने प्रधान मंत्री को पत्र लिखके मांग की है कि भारत सरकार अडयार कैंसर इंस्टिट्यूट को राष्ट्र स्तर का अनुसंधान केन्द्र ऐसा गौरव तुरन्त विभूषित करना चाहिये.
रामनाथपुरम् में गणेश जी की कृपा से विद्यालय का नवोत्थान!
पुण्य क्षेत्र रामनाथपुरम् शहर में है ’सेतुपती माध्यमिक स्कूल’. इसके परिसर को कुच स्थानीय लोगों ने शौचालय बना दिया जिस के कारण वहां दुर्गन्ध असह्य हो गया. बच्छे दूसरे स्कूलों में बर्ती पाने लगे. इतने में नये हेड मास्टर आये. नाम था जोसफ़ सेवियर्. उन्होंने देखा कि परिसर में एक पुराना गणेश मन्दिर भग्नावस्था में था. उन्होंने उसको क्डी टिप्पणी और विरॊध के बीच पुन:निर्माण तथा कुम्भाभिशेखम् करवाया. अब वहां वातावरण स्तुथ्य हो गया. शहर के ही एक अनाथालय है ’रामलिंगा अन्बु इल्लम्’, जो संघ की प्रेरणा से चलतीहै. उसके वार्षिकोत्सव में जोसफ़ सेवियर् को उनकी अनॊकी सेवा के लिए ’गोविन्दन् जी पुरसकार’ दिया गया. (उल्लेखनीय है कि संघ के प्रचारक गोविन्दन् जी ३० साल पहले उस जिले में मन्दिर केन्द्रित हिन्दु जन संगटन कार्य कर रहे थे).