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उडुपी, 26 नवम्बर। धर्मसंसद के तृृतीय व अंतिम दिवस की अध्यक्षता मणिरामदास छावनी के महंत कमलनयन दास जी महाराज, अयोध्या ने की। गोरक्षा के संदर्भ में प्रस्ताव की भूमिका रखते हुए विश्व हिन्दू परिषद के केन्द्रीय उपाध्यक्ष श्री हुकुमचंद सांवला ने कहा कि भारत की पहचान गाय है। गाय समरसता की देवी है। गाय किसी में भेद नहीं करती। मानव को शाकाहारी गाय ने ही बनाया है। अतः अहिंसा की देवी भी गाय ही है। अर्थव्यवस्था और पर्यावरण का आधार भी गाय ही है। घर–घर गाय, ग्राम–ग्राम गौशाला–यही है भारत की निरोगशाला। गोपाल के देश में प्रतिदिन गाय की हत्या हो रही है। अंग्रेजों के देशों में घोड़ों की हत्या पर, मुस्लिम देशों पर सुअर की हत्या पर प्रतिबंध है तो भारत में गौहत्या पर प्रतिबंध क्यों नहीं? डोजियर गोभक्तों का नहीं गौभक्षकों का बनना चाहिए। नोडल आफिसर गौमांस के निर्यातकों पर निगाह रखे। भारत से किसी भी प्रकार गौमांस निर्यात बंद हो। इसके लिए केन्द्रीय कानून बने और गौहत्यारों को फांसी की सजा हो। प्रस्ताव का वाचन करते हुए अखिलेश्वर दास जी महाराज, गुजरात ने कहा कि करपत्री जी महाराज ने वर्षों पूर्व गोहत्या का विषय उठाया था। विश्व हिंदू परिषद भी समय–समय पर उठाती रही है। गुजरात के सभी संतों ने मिलकर सरकार पर दबाव बनाया तो सरकार ने गुजरात में कठोर कानून बनाया। धर्म संसद मांग करती है कि संसद में कानून बनाए ताकि गौहत्या बंद हो और गौहत्यारों को फांसी हो। गौरक्षा के लिए जिन–जिन लोगों ने बलिदान दिया संतों ने आश्रम छोड़कर गौरक्षा के लिए कार्य किया ऐसे गौरक्षकांे पर अनावश्यक टीका–टिप्पणी न करें। प्रस्ताव का समर्थन करते हुए नामधारी संत सद््गुरु दिलीप सिंह जी महाराज ने कहा कि हिंदू और सिख सगे भाई हैं, अलग–अलग नहीं। सिख धर्म में गौ और गरीब की सेवा का संकल्प है। छठे गुरु हरगोविन्द जी ने भी गौरक्षा की थी। नामधारी सिखों ने गौरक्षों के लिए अनेक बलिदान दिए हैं।
नारायण महाराज जी, विदर्भ ने कहा कि पहला गुनाहगार गौमाता को बेचने वाला है, दूसरा गुनाहकार काटनेवाला है। संत घाडगे जी महाराज ने मंत्र दिया था कि गौपालन करो। गौरक्षकों को गुण्डा नहीं कहना चाहिए। जीवनमुक्तानंद जी महाराज, उत्कल ने कहा कि उत्कल में गौ नौरात्रि उत्सव मनाया गया। नौ दिनों तक गौ अर्चना, गौ संवर्धन, पंचगव्य कर्मशाला चली। उड़ीसा में कानून है लेकिन उसका पालन नहीं हो रहा है। उड़ीसा के मार्ग से बांग्लादेश में गौतस्करी हो रही है। कुत्तों को पालने वालों ने कुत्तों की बजाए गौमाता को पालना चाहिए। अमृृतराम जी महाराज, जोधपुर ने कहा कि जिस देश ने विश्व को गौरक्षा का संदेश देना चाहिए उसी देश में बड़े पैमाने पर गौहत्या हो रही है। यह दुर्भाग्यपूर्ण है। प्रत्येक परिवार ने एक गाय गोद लेनी चाहिए। रामेश्वर दास जी महाराज, मध्यप्रदेश ने कहा कि प्रधानमंत्री जी एक रात मंे नोटबंदी कानून बना सकते हैं तो फिर गोमाता को राष्ट्रमाता बनाने का कानून क्यों नहीं बनाते? बौद्ध संत पूज्य भदन्त ज्ञानजगत जी महाराज ने कहा कि हिंदू बौद्ध भाई–भाई हैं। मैने विश्व के 15 देशों में हिंदू–बौद्ध एकता के लिए प्रवास और प्रयास किया है। यहां रखे गए सभी प्रस्ताव अत्यंत महत्वपूर्ण हैं।
पेजावर पीठाधीश्वर ज0गु0 विश्वेशतीर्थ जी महाराज ने प्रस्ताव रखते हुए कहा कि जो शासकीय सुविधाएं धार्मिक अल्पसंख्यकों को मिल रही हैं वह सुविधाएं बहुसंख्यकों को भी मिलना चाहिए। भारतीयों में भेदभाव नहीं करना चाहिए। इसके कारण कई धार्मिक संस्थाएं हिंदू से अलग होना चाहते हैं ताकि उन्हें शासकीय सुविधाएं मिल सकें। यह प्रस्ताव दलितों एवं पिछड़ों के लिए भी अत्यन्त अनुकूल है। इन दोनों प्रस्तावों का उपस्थित सभी संतों एवं अन्य उपस्थित लोगों ने ओम ध्वनि से पारित किया।
काशी सुमेरुपीठ शंकराचार्य ज0गु0 नरेन्द्रानंद जी महाराज ने कहा कि समान नागरिक कानून इस देश में लागू होना चाहिए। जनसंख्या असंतुलन भी देश की समस्या है। राष्ट्र सुरक्षित है तो देवस्थान भी सुरक्षित रहेंगे। वह समय आ गया है जब भारत विश्व का मार्गदर्शन करे और आतंक तथा भोगवाद से त्रस्त विश्व को शांति प्रदान करे। केरल के कृृष्णानंद सरस्वती जी ने रामराज्य रथयात्रा की जानकारी दी। रथयात्रा अयोध्या से महाशिवरात्रि को आरंभ होगी और रामनवमीं पर रामेश्वरम्् पहंुचेगी। 14 माह पश्चात्् वापिस अयोध्या पहंुचेगी। धर्मसंसद को केवल्यानंद जी महाराज, हुबली, कामदगिरि जी महाराज, चित्रकूट, निर्गुणानंद जी महाराज, बंगाल, साध्वी शक्ति परिषद की उपाध्यक्षा साध्वी विभा ने भी सम्बोधित किया।