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भारतीय संस्कृति चिर पुरातन नित्य नूतन है : श्री सुरेश जी सोनी

कर्णावती, गुजरात :  कार्यकर्त्ता शिबिर –
2015​के प्रथम दिवस शिबिर संकुल में पू.के.का.शास्त्री संघ प्रदर्शनी का
उद्घाटन के अवसर पर ​प्रसिद्ध गुजराती लोक कलाकार श्री भीखूदान भाई ​गढवी
द्वारा मा.सह सरकार्यवाह श्री सुरेशजी सोनी, श्री अशोक रावजी कुकडे (पश्चिम
क्षेत्र, मा. संघचलकजी) तथा डॉ. जयंतीभाई भाडेसीया (मा. संघचलकजी, गुजरात
प्रांत ) की उपस्थिति में किया गया. इस अवसर पर भारतीय विचार मंच, गुजरात
द्वारा निर्मित देश भक्ती के गीतो की एक सी.डी का वोमोचन श्री अशोक रावजी
कुकडे (पश्चिम क्षेत्र, मा. संघ चा​लकजी) द्वारा किया गया.

कार्यक्रम में अपने विचार व्यक्त करते हुए अतिथी विशेष श्री ​भीखूदान भाई ​गढवी ने कहा की गुजरात की इस पवित्र भूमी पर उपस्थित सभी पत्रकार, स्वयंसेवक एवं हम सभी भारतीय संस्कृती के वाहक है. उन्होंने शिवाजी के विषय में काव्य पंक्ती द्वारा भारतीय भूमी एवं संस्कृति की वंदना की. उन्होंने कहा कि वर्तमान समय में भारतीय संस्कार के विचारो की सर्वाधिक आवश्यकता है. श्री भीखूदान भाई ​गढवी​ ने इस अवसर पर प.पू.के.का.शास्त्रीजी के साथ अपने सानिध्य का पुन:स्मरण किया.कार्यक्रम के मुख्य वक्ता श्री सुरेशजी सोनी (मा.सह.सरकार्यवाह, रा.स्व.संघ ) ने कहा की जीवन में संस्कार करने में, कला और साहित्य का विशेष महत्त्व है श्री सुरेशजी ने इस अवसर पर ​सन 2000 के संकल्प शिबिर को याद करते हुये दास्तान फार्म​ के मालिक ​स्व. श्री प्राणलाल ​भोगीलालजी का स्मरण करते कहाँ कि श्री प्राणलाल भाई को पुरानी वस्तुए संग्रह करने का शौक था तथा ये सभी वस्तुए अच्छी हालत में है. पुरानी कारों का एक बड़ा संग्रह उनके पास है और सभी कार अच्छी कंडितिाओं में हैं. साथ ही साथ वे आधुनिकता के भी पोषक थे. यही हमारे देश की विशेषता है यानि हमारी चिर पुरातन नित्य नूतन संस्कृति है. श्री सोनी ने कहाँ कि संघ शक्ति कलियुगे अर्थात एक व्यक्ति नहीं किन्तु पुरे समाज को संगठित रखने के लिए संघ का निर्माण हुआ है. महामहिम पूर्व राष्ट्रपति श्री अब्दुल कलाम का उल्लेख करते श्री सुरेश जी ने कहाँ कालम जी ने एक पत्रकार परिषद में पत्रकारों के सभी प्रश्नो का उत्तर एक ही वाक्य में देते हुए कहाँ था कि मजहब को आध्यात्मिक अधिष्ठान दीजिये और राष्ट्र के लिए विचार करने वाले व्यक्ति का निर्माण ही सभी समस्याओ का एकमात्र विकल्प है.

सुरेशजी ने कहाँ कि हमारे देश ने प्रगति को स्वीकार किया हैं, लेकिन परंपरा का त्याग नहीं किया हैं. विकास के साथ साथ यह भी आवश्यक है कि हम जमीन से जुड़े रहे. वर्तमान समय में विश्व जिन समस्याओ का सामना कर रहा है उनमे आतंकवाद, वैश्विक मंदी और ग्लोबल वार्मिंग मुख्य है जिनका समाधान भारतीय जीवन शैली एवं चिंतन में हैं. अंत में उन्होंने कहाँ कि भारत महान, श्रेष्ठ, समृद्ध और पूरा समाज चारित्र्यवान बने यही विश्व शांति की गारंटी है और राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ इसी ओर आज जिस प्रदर्शनी का उद्घाटन होने जा रहा है वह इसी विचार की परिचायक है.

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