सिनेमा में भारतीयता भाव होना जरूरी
—अर्जुन रामपाल, हेमा मालिनी, फिल्म डायरेक्टर मधुर भंडारकर और प्रियदर्शन भी पहुंचे
—चित्र भारती महोत्सव में भारत भर से आई थीं 750 फिल्म, विभिन्न वर्गों में प्रतियोगिता के लिए सलेक्ट हुई 160
—बुधवार तक चलेगा फिल्म महोत्सव, सोमवार को 50 फिल्मों की स्क्रीनिंग हुई, पांच कैटेगरी में तीन—तीन फिल्मों को मिलेगा पुरस्कार
नई दिल्ली, 19 फरवरी.
भारतीय सिनेमा में भारत का दर्शन होना जरूरी है। सिनेमा समाज की मानसिकता और सोच दोनों को विकसित करने का काम करता है बशर्ते कि सिनेमा में उस देश की वास्तविक संस्कृति का बोध हो। भारतीय चित्र साधना के बैनर तले सोमवार से तीन दिवसीय चित्र भारती फिल्म महोत्सव की शुरुआत हुई। महोत्सव में बतौर मुख्य अतिथि केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री स्मृति ईरानी ने कहा कि इस तरह महोत्सव का बड़ा महत्व है। शार्ट फिल्म मेकर्स को भारतीय साहित्य, भारतीय संस्कृति के बारे में जानना बेहद जरूरी है। भारत की आत्मा साहित्य में बसती है। फिल्मकार यदि भारतीय साहित्य से परिचित होंगे तो फिल्मों में भारतीयता का भाव लाना उनके लिए सुलभ होगा। इसके अलावा आज फिल्मों में अनुशासन का होना बेहद जरूरी है। हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खटृटर ने कहा कि उपभोक्तावाद का असर फिल्मों पर भी पड़ा है। इस कारण धीरे—धीरे भारतीय फिल्मों से भारतीयता गायब होती गई। भारतीयता को पुर्नस्थापित करने का जो बीड़ा भारतीय चित्र साधना ने उठाया है वह सराहनीय है।
फिल्म अभिनेत्री एवं भाजपा सांसद हेमा मालिनी ने कहा कि जब हम विदेश जाते हैं तो लोग हिंदी में हमसें बात करते हैं। हिंदी और भारतीय संस्कृति को विश्व पटल पर अवगत कराने में हिंदी सिनेमा एक सशक्त माध्यम है। अर्जुन रामपाल ने कहा कि भारत में सबसे ज्यादा फिल्म बनती हैं लेकिन आॅस्कर की दौड़ में हम पिछड़ जाते हैं क्योंकि हम विदेशों की नकल करते हैं। जो लोग अपने देश की संस्कृति और समाज को मौलिक रूप से प्रस्तुत करते हैं उनकी फिल्में अंतरराष्टीय जगत में सराही जाती हैं और पुरस्कृत होती हैं।