VSK TN
P P Sarsanghachalak Shri Mohan Bhagwat along with Sarkaryavah Shri Bhaiyya Joshi inaugurated the three-day samanvaya baitak at Agra.
Presiding over the meet, Shri Bhaiyya Joshi said that taking our ancient glory, we are working in different organizations and in different areas of the society. Taking the view with the changing world scenario, the situation of our country and the state of our organization, we all have to move forward in our fields. For any work, we have to come through three stages – namely – negligence, opposition and acceptance; by passing through the first two stages we experience the acceptance in the society. With keeping in mind, the world scenario, current situation of the country and the strength of organization, many topics will be discussed here in these three days. While coordinating between our external world and the internal world, we have to move forward with mutual coordination.
श्रीधाम वृंदावन में प्रारंभ हुई तीन दिवसीय समन्वय बैठक
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक प.पू. श्री मोहन राव भागवत जी
और सर कार्यवाह श्री भय्याजी जोशी द्वारा भारत माता की प्रतिमा को
पुष्पार्चन कर शुक्रवार को त्रिदिवसीय समन्वय बैठक का प्रारम्भ हुआ।
और सर कार्यवाह श्री भय्याजी जोशी द्वारा भारत माता की प्रतिमा को
पुष्पार्चन कर शुक्रवार को त्रिदिवसीय समन्वय बैठक का प्रारम्भ हुआ।
सह
सरकार्यवाह श्री सुरेष जी सोनी ने बैठक की प्रस्तावना रखते हुए कहा कि
भारत की प्राचीन आध्यात्मिक विचारधारा को लेकर हम सभी संगठन समाज जीवन के
विभिन्न क्षेत्रों में कार्य कर रहे हैं। बदलते हुए विश्व परिदृष्य, देश की
परिस्थति और अपने संगठन की स्थिति का योग्य आंकलन करते हुए हम सभी को अपने
क्षेत्रों में आगे बढना है। किसी भी कार्य के उपेक्षा, विरोध और स्वीकार
यह तीन पड़ाव होते है, पहले दो पड़ाव पार कर हम समाज में स्वीकृति का अनुभव
कर रहे हैं। विश्व परिदृश्य, देश की वर्तमान स्थिति और अपने संगठन की
सांगठीक स्थिति का योग्य आकलन एवं समझ हो, इस हेतु से अनेक विषयों पर यहां
तीन दिन में चर्चा होगी। अपने बहिर जगत और अंतर जगत के बीच समन्वय साधते
हुए हमें परस्पर समन्वय के साथ आगे बढना है।
सरकार्यवाह श्री सुरेष जी सोनी ने बैठक की प्रस्तावना रखते हुए कहा कि
भारत की प्राचीन आध्यात्मिक विचारधारा को लेकर हम सभी संगठन समाज जीवन के
विभिन्न क्षेत्रों में कार्य कर रहे हैं। बदलते हुए विश्व परिदृष्य, देश की
परिस्थति और अपने संगठन की स्थिति का योग्य आंकलन करते हुए हम सभी को अपने
क्षेत्रों में आगे बढना है। किसी भी कार्य के उपेक्षा, विरोध और स्वीकार
यह तीन पड़ाव होते है, पहले दो पड़ाव पार कर हम समाज में स्वीकृति का अनुभव
कर रहे हैं। विश्व परिदृश्य, देश की वर्तमान स्थिति और अपने संगठन की
सांगठीक स्थिति का योग्य आकलन एवं समझ हो, इस हेतु से अनेक विषयों पर यहां
तीन दिन में चर्चा होगी। अपने बहिर जगत और अंतर जगत के बीच समन्वय साधते
हुए हमें परस्पर समन्वय के साथ आगे बढना है।