VSK TN
Shri Dattatreya
Hosabale, RSS Akhil Bharatiya Sah Sarkaryavah in his valedictory speech said
that tsunami like service will bring incomparable hope in the country.
Hosabale, RSS Akhil Bharatiya Sah Sarkaryavah in his valedictory speech said
that tsunami like service will bring incomparable hope in the country.
In the closing session, while addressing delegates at the confluence of 3050
sewa pratinidhis from 532 districts of the country of 707 NGOs called to focus on
the five points which may help to increase the speed of service functions, increase
the number of service operations, service operations increased dimensions, quality
growth and impact on increase.
sewa pratinidhis from 532 districts of the country of 707 NGOs called to focus on
the five points which may help to increase the speed of service functions, increase
the number of service operations, service operations increased dimensions, quality
growth and impact on increase.
होसबले ने बताया व्दितीय राष्ट्रीय
सेवा संगम को अव्दितीय
सेवा संगम को अव्दितीय
नई दिल्ली. (इविसंके)
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सह सरकार्यवाह श्री दत्तात्रेय होसबले ने राष्ट्रीय सेवा
भारती के तत्वावधान में आयोजित तीन दिवसीय व्दितीय राष्ट्रीय सेवा संगम को
अव्दितीय बताते हुए आशा व्यक्त की कि यह देश में सेवा की सुनामी लाने में सहाय
होगा.
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सह सरकार्यवाह श्री दत्तात्रेय होसबले ने राष्ट्रीय सेवा
भारती के तत्वावधान में आयोजित तीन दिवसीय व्दितीय राष्ट्रीय सेवा संगम को
अव्दितीय बताते हुए आशा व्यक्त की कि यह देश में सेवा की सुनामी लाने में सहाय
होगा.
समापन सत्र में श्री
होसबले ने देश के 532 जिलों से यहां आये 3050 प्रतिनिधियों को संबोधित करते हुए
कहा कि इस संगम में हुए विचार-विमर्श से अगले पांच वर्ष तक इन पांच बिंदुओं पर
ध्यान केन्द्रित करने में मदद मिलेगी- सेवा कार्यों की गति बढ़ाना, सेवा कार्यों
की संख्या बढ़ाना, सेवा कार्यों के आयामों में वृद्धि, गुणवत्ता में अभिवृद्धि तथा
प्रभाव (इम्पैक्ट) में वृद्धि.
होसबले ने देश के 532 जिलों से यहां आये 3050 प्रतिनिधियों को संबोधित करते हुए
कहा कि इस संगम में हुए विचार-विमर्श से अगले पांच वर्ष तक इन पांच बिंदुओं पर
ध्यान केन्द्रित करने में मदद मिलेगी- सेवा कार्यों की गति बढ़ाना, सेवा कार्यों
की संख्या बढ़ाना, सेवा कार्यों के आयामों में वृद्धि, गुणवत्ता में अभिवृद्धि तथा
प्रभाव (इम्पैक्ट) में वृद्धि.
राष्ट्रीय सेवा
भारती से जुड़े 707 गैर सरकारी संगठनों के इन प्रतिनिधियों को श्री होसबले ने अनेक
सफलतादायक परामर्श दिये. उन्होंने व्यवस्थित ढंग से सेवा कार्य करने का स्वभाव
बनाने का आग्रह करते हुए कहा कि देश में शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में
जरूरतमंद लोगों के बीच एवं जल स्रोतों के शुद्धिकरण के लिये परिणामदायी काम करने
की बहुत आवश्यकता है.
भारती से जुड़े 707 गैर सरकारी संगठनों के इन प्रतिनिधियों को श्री होसबले ने अनेक
सफलतादायक परामर्श दिये. उन्होंने व्यवस्थित ढंग से सेवा कार्य करने का स्वभाव
बनाने का आग्रह करते हुए कहा कि देश में शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में
जरूरतमंद लोगों के बीच एवं जल स्रोतों के शुद्धिकरण के लिये परिणामदायी काम करने
की बहुत आवश्यकता है.
सहसरकार्यवाह ने यह
भी आशा व्यक्त की कि सेवा भारती से जुड़े संगठनों का कामकाज इतने उत्कृष्ट स्तर का
होना चाहिये जिससे यह सेवा के क्षेत्र में
मानक बन सके. इसके लिये उन्होंने सुझाया कि सेवा भारती से सम्बद्ध संगठन अन्य
कार्यों के अलावा एक-दो क्षेत्र में विशेषज्ञता हासिल करें, सकारात्मक परिवर्तन
लाने के लिये सुनिश्चित योजना तैयार करें और दक्षता विकास के लिये निरंतर
प्रशिक्षण कार्यक्रम चलायें जिससे प्रत्यक्ष कार्य क्षेत्र में आवश्यक विशिष्ट
ज्ञान के साथ ही सामूहिकता, परिश्रम, लगन, निरंतरता, समन्वय और आदर्श नेतृत्वकारी
गुणों का विकास हो सके.
भी आशा व्यक्त की कि सेवा भारती से जुड़े संगठनों का कामकाज इतने उत्कृष्ट स्तर का
होना चाहिये जिससे यह सेवा के क्षेत्र में
मानक बन सके. इसके लिये उन्होंने सुझाया कि सेवा भारती से सम्बद्ध संगठन अन्य
कार्यों के अलावा एक-दो क्षेत्र में विशेषज्ञता हासिल करें, सकारात्मक परिवर्तन
लाने के लिये सुनिश्चित योजना तैयार करें और दक्षता विकास के लिये निरंतर
प्रशिक्षण कार्यक्रम चलायें जिससे प्रत्यक्ष कार्य क्षेत्र में आवश्यक विशिष्ट
ज्ञान के साथ ही सामूहिकता, परिश्रम, लगन, निरंतरता, समन्वय और आदर्श नेतृत्वकारी
गुणों का विकास हो सके.
स्वामी विवेकानंद की
शिक्षाओं का स्मरण करते हुए उन्होंने कहा कि हमें पश्चिमी जगत से आधुनिक ज्ञान
सीखने में कोई संकोच नहीं करना चाहिये. साथ ही, भारत को विश्व के बीच श्रेष्ठ
स्थान पर प्रतिष्ठित करने के प्रयत्नों में भारतीय मूल के विदेशों में बसे लोगों
विशेषकर युवकों से सहायता ली जा सकती है. उन्होंने इस बात पर प्रसन्नता व्यक्त की
कि उच्च शिक्षित युवकों में सेवा का आकर्षण बढ़ रहा है. वे अच्छी नौकरियां छोड़ कर
सेवा क्षेत्र में आ रहे हैं.
शिक्षाओं का स्मरण करते हुए उन्होंने कहा कि हमें पश्चिमी जगत से आधुनिक ज्ञान
सीखने में कोई संकोच नहीं करना चाहिये. साथ ही, भारत को विश्व के बीच श्रेष्ठ
स्थान पर प्रतिष्ठित करने के प्रयत्नों में भारतीय मूल के विदेशों में बसे लोगों
विशेषकर युवकों से सहायता ली जा सकती है. उन्होंने इस बात पर प्रसन्नता व्यक्त की
कि उच्च शिक्षित युवकों में सेवा का आकर्षण बढ़ रहा है. वे अच्छी नौकरियां छोड़ कर
सेवा क्षेत्र में आ रहे हैं.
श्री होसबले ने
प्रतिनिधियों को इस बात से सावधान किया कि सेवा कार्य में किसी भी प्रकार की
अस्पृश्यता का कोई विचार अपने मन में न रखें. वे यह भी सदैव अपने ध्यान में रखें
कि समाज के सभी लोगों की दुर्बलता दूर किये बिना समर्थ भारत नहीं बन सकता. इसके
लिये उन्होंने बिलियर्ड्स के नौ बार विश्व चैम्पियन रहे गीत सेठी के आत्म-जीवन वृत
का उल्लेख करते हुए कहा कि सेवा कार्य आनंद की अनुभूति पाने के लिये करें तो सफलता
उनके चरण चूमेगी.
प्रतिनिधियों को इस बात से सावधान किया कि सेवा कार्य में किसी भी प्रकार की
अस्पृश्यता का कोई विचार अपने मन में न रखें. वे यह भी सदैव अपने ध्यान में रखें
कि समाज के सभी लोगों की दुर्बलता दूर किये बिना समर्थ भारत नहीं बन सकता. इसके
लिये उन्होंने बिलियर्ड्स के नौ बार विश्व चैम्पियन रहे गीत सेठी के आत्म-जीवन वृत
का उल्लेख करते हुए कहा कि सेवा कार्य आनंद की अनुभूति पाने के लिये करें तो सफलता
उनके चरण चूमेगी.
श्री होसबले ने सेवा
के महत्व को रेखांकित करते हुए कहा कि यह जीवन का मंत्र है. यह जड़-चेतन में
व्याप्त ईश्वर की उपासना का माध्यम है. यह किसी के उपकार के लिये नहीं होती. वैसे
किसी भी क्षेत्र में काम करना भी सेवा ही है. उन्होंन इसे वृहद आंदोलन की कड़ी निरूपित करते हुए कहा
कि सुदृढ़ और समर्थ समाज सेवा भारती का विज़न व मिशन है. उन्होंने स्वामी
विवेकानंद के कथन को उद्धृत करते हुए कहा कि सेवा के रूप में त्याग की अभिव्यक्ति
होती है. विवेकानंद ने कहा था कि जो दूसरों के लिये जी रहे हैं, वही वास्तव
में रहे हैं. जो सिर्फ अपने लिये जी रहे
हैं, वे मृतप्राय: हैं. सेवा स्वयं और दूसरों को नर से
नारायण बनाने का उपाय है. सचमुच, यह दैवी भाव जाग्रत करने में समर्थ है और यह
विभिन्न प्रकार के ऋण चुकाने का भी माध्यम है.
के महत्व को रेखांकित करते हुए कहा कि यह जीवन का मंत्र है. यह जड़-चेतन में
व्याप्त ईश्वर की उपासना का माध्यम है. यह किसी के उपकार के लिये नहीं होती. वैसे
किसी भी क्षेत्र में काम करना भी सेवा ही है. उन्होंन इसे वृहद आंदोलन की कड़ी निरूपित करते हुए कहा
कि सुदृढ़ और समर्थ समाज सेवा भारती का विज़न व मिशन है. उन्होंने स्वामी
विवेकानंद के कथन को उद्धृत करते हुए कहा कि सेवा के रूप में त्याग की अभिव्यक्ति
होती है. विवेकानंद ने कहा था कि जो दूसरों के लिये जी रहे हैं, वही वास्तव
में रहे हैं. जो सिर्फ अपने लिये जी रहे
हैं, वे मृतप्राय: हैं. सेवा स्वयं और दूसरों को नर से
नारायण बनाने का उपाय है. सचमुच, यह दैवी भाव जाग्रत करने में समर्थ है और यह
विभिन्न प्रकार के ऋण चुकाने का भी माध्यम है.
इससे पूर्व
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अ. भा. सेवा प्रमुख श्री सुहास राव हिरेमठ ने बताया कि
इस संगम में देश के सभी राज्यों के 707 स्वयंसेवी संगठनों के 3050 प्रतिनिधियों ने
भाग लिया, इनमें 2535 पुरुष और 515 महिलायें शामिल हैं. कार्यक्रम के प्रारम्भ में
दिल्ली सेवा भारती के अध्यक्ष श्री तरुण जी ने श्री होसबले का स्वागत किया. सबसे
अंत में राष्ट्रीय सेवा भारती के राष्ट्रीय महामंत्री श्री ऋषिपाल डडवाल ने आभार
व्यक्त किया. मंच पर राष्ट्रीय सेवा भारती के ध्यक्ष श्री सूर्य प्रकाश टोंक भी
उपस्थित थे.
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अ. भा. सेवा प्रमुख श्री सुहास राव हिरेमठ ने बताया कि
इस संगम में देश के सभी राज्यों के 707 स्वयंसेवी संगठनों के 3050 प्रतिनिधियों ने
भाग लिया, इनमें 2535 पुरुष और 515 महिलायें शामिल हैं. कार्यक्रम के प्रारम्भ में
दिल्ली सेवा भारती के अध्यक्ष श्री तरुण जी ने श्री होसबले का स्वागत किया. सबसे
अंत में राष्ट्रीय सेवा भारती के राष्ट्रीय महामंत्री श्री ऋषिपाल डडवाल ने आभार
व्यक्त किया. मंच पर राष्ट्रीय सेवा भारती के ध्यक्ष श्री सूर्य प्रकाश टोंक भी
उपस्थित थे.