उल्लेखनीय है कि मामले में .313 एकड़ भूमि को लेकर विवाद है, जिसमें सीता रसोई और रामलला जहां पर वर्तमान में विराजमान हैं. सरकार के कदम का विश्व हिन्दू परिषद् ने भी स्वागत किया. विहिप के कार्यकारी अध्यक्ष आलोक कुमार ने सरकार के कदम का समर्थन किया है.
67 एकड़ जमीन 2.67 एकड़ विवादित जमीन के चारों ओर स्थित है. सुप्रीम कोर्ट ने विवादित जमीन सहित 67 एकड़ जमीन पर यथास्थिति बनाने को कहा था. 1993 में केंद्र सरकार ने अयोध्या अधिग्रहण एक्ट के तहत विवादित स्थल और आसपास की जमीन का अधिग्रहण कर लिया था और पहले से जमीन विवाद को लेकर दाखिल तमाम याचिकाओं को खत्म कर दिया था. एक्ट को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी.
सुप्रीम कोर्ट ने इस्माइल फारुखी जजमेंट में 1994 में तमाम दावेदारी वाले सूट (अर्जी) को बहाल कर दिया था और जमीन केंद्र सरकार के पास ही रखने का निर्देश दिया था.
विवाद में मुस्लिम पक्ष के वकील जफरयाब जिलानी का कहना था कि जब अयोध्या अधिग्रहण एक्ट 1993 में लाया गया, तब उसे चुनौती दी गई थी. सुप्रीम कोर्ट ने तब यह व्यवस्था दी थी कि एक्ट लाकर सूट को खत्म करना गैर संवैधानिक है. पहले अदालत सूट पर फैसला ले और जमीन को केंद्र तब तक कस्टोडियन की तरह अपने पास रखे. कोर्ट का फैसला जिसके भी पक्ष में आए, सरकार उसे जमीन सुपुर्द करे.