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पुणे – विसंके- ता. 9: “जैसे गंगा उसमें आने वाली सभी धाराओं को पवित्र करती है, वैसे ही संघ में आने वाला हर व्यक्ति वैचारिक रूप से पवित्र हो जाता है। संघ का परिस स्पर्ध सभी को हुआ है। परीसवेध पुस्तक संघ से एकरूप होकर सामाजिक कार्य के लिए खड़े रहनेवाले सभी के लिए प्रातिनिधिक होगा,“ उक्त विचार राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरकार्यवाह भय्याजी जोशी ने व्यक्त किए।
रवींद्र तथा राजाभाऊ मुले द्वारा लिखित और साप्ताहिक विवेक और हिंदुस्तान प्रकाशन द्वारा प्रकाशित पुस्तक ‘परिसवेध’ का विमोचन रविवार (7 एप्रिल) को भय्याजी जोशी के हाथों किया गया। इस अवसर पर वे बोल रहे थे। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की ९३ वर्ष की यात्रा में सबकुछ न्यौछावर करते हुए व्यक्ति निर्माण के कार्य में खुद को समर्पित करनेवाले व्यक्तियों का चित्रण मुले ने इस पुस्तक में किया है। इस अवसर पर भय्याजी के हाथों समर्थ भारत वेबसाइट का प्रकाशन भी किया गया।
मुले ने कहा, “जो मैं लिख रहा था वह पाठकों को पसंद आ रहा था। यह ध्यान में आने के बाद प्रोत्साहन मिला। इसके द्वारा व्यक्ति निर्माण के कार्य को समर्पित संघ योद्धाओं के चरित्र शब्दांकीत करने का सौभाग्य मुझे मिला।“
महेश पोहनकर ने प्रस्तावना की। राजाभाऊ की कलम से इस पुस्तक को कैसे आकार दिया गया इसकी जानकारी उन्होंने दी। चित्र एवं मूर्तिकार प्रमोद कांबले और राजेंद्र वहाडने, चंद्रशेखर कुलकर्णी और मंदार सहस्रबुद्धे का भी सम्मान किया गया। इस अवसर पर हिंदुस्तान प्रकाशन संस्था के अध्यक्ष रमेश पतंगे, नानाजी जाधव, रवींद्र वंजारवाडकर उपस्थित थे। प्रज्ञा बक्षी ने धन्यवाद ज्ञापन किया।