Superstar Aamir Khan was honoured with the 75th Master Dinanath Mangeshkar Award for his blockbuster “Dangal”.
RSS chief Mohan Bhagwat presented the Vishesh Puraskar, part of the Dinanath Mangeshkar Awards given to eminent personalties in various fields, to the 52-year-old actor whose wrestling saga was one of the biggest hits of 2016.
“Today wherever I am, the credit goes to all the writers who have written my films. I am here because of the directors and writers for the wonderful work they’ve done. I thank all of them,” Aamir said after receiving the award.
Director Nitesh Tiwari, who was also present at the event, thanked the audience for making the film a huge hit.
Kapil Dev was given the award for his outstanding contribution to the Indian cricket.
नक्षत्र मालिका को अभिवादन करता हूँ. आज सम्मानित हुई प्रतिभाओं का सम्मान
मैं करूँ ऐसा मेरे पास कुछ भी नहीं है. फिर भी इस कार्यक्रम में आया हूँ
उत्कर्ष के नित नए शिखरों को सर करने वाले इन प्रतिभाशाली शख्सियतों के
कृतित्व के परिचय से, मनोगत से सामने आने वाले भारत के उज्ज्वल भविष्य का
दर्शन करने के लिए्. साधना के बिना प्रतिभा का सामर्थ्य असंभव होता है. और
साधना करते हुए, उन क्षेत्रों में काम करते समय प्रतिष्ठा, पुरस्कार,
सम्मान की अपेक्षा रखकर प्रदर्शन नहीं किया जा सकता. लेकिन यह मन में, और
कृति में होता है कि सफलता के कारण समाज का, देश का सम्मान बढेगा. `सावली’
संस्था के किशोर देशपांडे को समाज के दुखी जनों का दुख दूर करने का काम
किसी ने दिया नहीं था, बल्कि यह उनके अंतर्मन की सहानुभूति थी. संतों ने
कहा है कि सहानुभूति रखने वाले लाभ की आशा किए बिना प्रीति करते हैं.
कपिलदेव और अन्य पुरस्कार विजेताओं के अनुभव कथन से यही व्यक्त हुआ है.
के बारे में भी ऐसा ही है. `गंगा जले, गंगा पूजा’ यह व्यवहार नहीं बल्कि
संस्कार है. गंगा में खडे रह कर उसी के पानी से अंजुली भरकर उसी के अर्घ्य
से गंगा का पूजन करना यही संस्कार कला भी देती है. इसीलिए यह सम्मान केवल
इन प्रतिभाओं का, उनके कलाक्षेत्रों तक सीमित न रहते हुए संपूर्ण भारत का
हो जाता है. वर्तमान भारत में कुछ अच्छा नहीं हो रहा है, ऐसा संभ्रम भी दूर
किया हो रहा है. उत्तम, उज्ज्वल कल की आशा का दर्शन यहीं होता है. इसीलिए
ऐसे कार्यक्रमों में आना चाहिए. यहॉं आकर अपने अंतर्मन की ज्योति प्रकट
करनी चाहिए और अपनी मर्यादित क्षमता का समाज के उन्नयन के लिए उपयोग में
लाए जाने की भावना से काम करना चाहिए. ये सभी प्रतिभावान सूर्य की तरह
हैं, लेकिन यदि सूर्य छुट्टी पर जाने की बात कह दे तो किसी छोटे से दीपक के
प्रकाश का अस्तित्व जीवंत रखने जैसा संस्कार ऐसे कार्यक्रमों से मिलता है.
ऐसे कार्यक्रमों का यही प्रयोजन होता है. आमिर खान जैसे अभिनेता की
वेशभूषा का अनुकरण होते हुए हम देखते हैं. प्रतिभाशाली लोगों का यही
सामर्थ्य होता है. समाज उनके पीछे चलने का प्रयास करता रहता है.
अस्तित्वहीन अंधकार को छोटे से प्रकाश पुंज से प्रकाशित किया जा सकता है.
ऐसा सामर्थ्य, ऐसा विश्वास देने वाली इस नक्षत्र मालिका को और इन्हें
पुरस्कृत करने वाले मास्टर दीनानाथ जी के `दिव्य स्वातंत्र्य सूर्य’ की
आराधक विरासत को अधिक तेज से उद्दीप्त करने वाली लतादीदी के सामर्थ्यपूर्ण
नेतृत्व में कार्यरत मंगेशकर परिवार को नमस्कार करके मैं अपनी धन्यता प्रकट
करता हूँ.”