–  प्रशांत पोळ और सीता की दृष्टि, उस अद्भुत हिरण पर पड़ी..! वह मृग सभी अर्थों में विलक्षण था. अत्यंत सुंदर था. अवर्णनीय था. उसे देखते ही जनक नंदिनी सीता में, उस सुवर्ण मय मृग के चमड़े से, आसन बनाने की चाह निर्माण हुई. सीता ने श्रीराम से कहा, “यह […]

दानवों के निर्दालन तथा लंकाधिपती रावण की टोह लेते हुए श्रीराम, जानकी और लक्ष्मण का दंडकारण्यमे प्रवास चल रहा है. ऐसे ही प्रवास करते – करते श्रीराम, जानकी और लक्ष्मण के साथ महर्षी अगस्त्य के आश्रम मे पहुंचे. अगस्त्य ऋषी, मुनी वशिष्ठ के ज्येष्ठ भ्राता है. राजा दशरथ इन्हे अपने […]

– प्रशांत पोळ उडती हुई धूल के साथ आती विशाल सेना को देखकर, लक्ष्मण को लगा कि भरत हम पर आक्रमण करने आ रहे हैं. किंतु श्रीराम ने उन्हें समझाया, कि भरत हमसे युध्द करने आ ही नही सकते. भरत, श्रीराम से मिलकर अत्यधिक भावविभोर हैं. पर्णकुटी मे जानकी और […]

–  प्रशांत पोळ अवधपुरी के राजप्रासाद में श्रीराम के युवराज्याभिषेक की तैयारियां चल रही है. मुहूर्त पर चर्चा हो रही है. राजा दशरथ, श्रीराम को अपने पास बुलाते हैं और कहते हैं, “हे रघुनंदन, मेरे सपनों में अशुभ लक्षण प्रकट हो रहे हैं. इसलिए, शीघ्रता से युवाराज्याभिषेक करना उचित रहेगा. […]

–  प्रशांत पोळ सृष्टि के पालनकर्ता, सर्वव्यापी नारायण ने निर्णय लिया है, रावण जैसी आसुरी शक्ति के निर्दालन के लिए, ईश्वाकु कुल के वंशज, राजा दशरथ के पुत्र के रूप में माध्यम बनने का..! राजा दशरथ इसी समय पुत्रकामेष्टि यज्ञ कर रहे हैं. ईश्वर के प्रतिनिधि के रूप में एक […]

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 तीर्थराज प्रयाग में पूर्णकुम्भ के पावन अवसर पर 7 फरवरी, 2013 को धर्मसंसद एवं सन्त महासम्मेलन आयोजित किया गया था। दोनों कार्यक्रमों में सन्तों की संख्या तथा उत्साह अभूतपूर्व था। सम्मेलन अनवरत 5 घण्टे तक चलता रहा। सभी वक्ता-सन्तों ने श्रीराम जन्मभूमि पर शीघ्र भव्य मन्दिर निर्माण करने हेतु जहाँ […]