पंचाम्रित

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।। पंचाम्रित ।।

(संस्कृत में पंच का अर्थ पाँच होता है। अम्रित अच्छी है)

महीने में दो बार पांच अच्छे संदेश साझा करता हूं – हर अमावस्या, हर पूर्णिमा – प्रमाण के साथ, हिंदी में।

आज (2024 मार्च 24) पूर्णिमा है,  और आपके समक्ष ‘पंचाम्रित’!

सनातन धर्म, सामाजिक न्याय, सं

1 “1953 में, स्वामी चिन्मयानंद ने केरल के कोझिकोड में भगवद गीता कक्षा (गीता ज्ञान यज्ञ) शुरू करने के लिए आर.एस.एस नेता श्री गुरुजी कोलवलकर से मदद मांगी। श्री गुरुजी ने संघ प्रचारक पी.परमेश्वरन और रंग हरि को सूचित किया। इन दोनों ने कोझिकोड के बुजुर्गों के साथ मिलकर एक टीम बनाई और कक्षा को बहुत सुचारु रूप से चलाने में मदद की। उन कक्षाओं में बड़ी संख्या में लोग भगवद गीता की पुस्तकों के साथ उपस्थित हुए। संघ प्रचारकों ने स्वामीजी के अंग्रेजी प्रवचन का मलयालम में अनुवाद किया। संघ के स्वयंसेवकों ने स्टेडियम के बाहर जूतों की देखभाल से लेकर हर तरह से मदद की। उस समय कुछ ब्राह्मणों ने श्री गुरुजी से मुलाकात की और पूछा, “आप इस वर्ग में अनुसूचित जाति के लोगों को कैसे शामिल कर सकते हैं?” । “भगवद गीता का उपदेश यादव कृष्ण ने क्षत्रिय अर्जुन को दिया था। एक मछुआरा समुदाय में जन्मे वेदव्यास महर्षि ने इसे लिखा था। क्या सनातन हिन्दू धर्म इसकी प्रशंसा और पालन नहीं करता?” श्री गुरुजी ने उत्तर दिया, जिसे उनको स्पष्टता मिल गई और वे वापस चले गए।

आर.एस.एस सरकार्यवाह (महासचिव) दत्तात्रेय होसबले ने 3 अक्टूबर, 2023 को चेन्नई में स्वामी चिन्मयानंद की 108 वीं जयंती कार्यक्रम में इस घटना का जिक्र किया, जिसका चेन्नई के लोगों ने तालियों की गड़गड़ाहट के साथ स्वागत किया।

(स्रोत: Mahadevan Sankaranarayanan  के फ़ेसबुक पेज से)

गरीबी उनके उत्थान को नहीं रोक सकी!

2 चेन्नई में सेवा भारती के भारत सेवा संघ द्वारा संचालित एक सेवा केंद्र है “भारती पयिलकम”। भैय्या-बहन दोनों के लिए मुफ्त भोजन-आवास की व्यवस्था है। एम. रामनाथन को भारती पयिलकम में प्रशिक्षित किया गया था। उन्होंने श्रम कल्याण विभाग के 29 पदों वाले सहायक श्रम आयुक्त चयन की परीक्षा में 18वीं रैंक हासिल की है, जो केंद्रीय कर्मचारी चयन आयोग द्वारा आयोजित भारत की सिविल सेवा के समकक्ष है। पयिलकम को चलाने वाली परोपकारी टीम को इस से संतुष्टि दी है। उसके माता-पिता को भी। वह तमिलनाडु से एकमात्र छात्र हैं जिन्हें इस नौकरी केडर लिए चुना गया है। तमिल माध्यम में स्कूली शिक्षा के बाद, उन्होंने एक होटेल में अंशकालिक काम करते हुए अपनी कॉलेज की पढ़ाई पूरी की। रामनाथन तेनकाशी जिले के कडयनल्लूर कृष्णापुरम के रहने वाले हैं और वर्तमान में भारतीय रेलवे के विनिर्माण केंद्र चेन्नई आई.सी.एफ में कार्यरत हैं। माता-पिता मुरुगैया-लक्ष्मी दोनों दिहाड़ी मजदूर हैं।

(स्रोत: विजयभारतम तमिल साप्ताहिक, 2024 अप्रैल 5)

राजनीती ऐसी होनी चाहिए भरत भूमि पर

3 भारतीय रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव, जो राजस्थान से हैं, ओडिशा से भाजपा की ओर से राज्यसभा के लिए चुने गए। उन्हें राज्य के सत्तारूढ़ बीजद का समर्थन प्राप्त है, जो वर्तमान में एनडीए का हिस्सा नहीं है। यह अच्छी खबर है। इतना ही नहीं। ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक उनका बहुत सम्मान करते हैं। अश्विनी वैष्णव 1994 में ओडिशा कैडर आईएएस में शामिल हुए। 1999 में ओडिशा में भयानक चक्रवात! अश्विनी खट्टक, बालासोर कलेक्टर थे। उन्होंने सुपर टाइफून के पथ को ट्रैक करने का ध्यान रखा और व्यक्तिगत रूप से अमेरिकी नौसेना की वेबसाइट तक पहुंच बनाई। अश्विनी वैष्णव के कारण ही ओडिशा के सभी तटीय जिले समय पर कार्रवाई करने में सक्षम हुए। कम से कम 10,000 लोगों की जान बचाई गई. उन्होंने बालासोर के तटीय क्षेत्रों से 10,000 से अधिक लोगों को शीघ्रता से निकालकर राहत कार्यों को सुविधाजनक बनाया। उन्होंने चक्रवात पीड़ितों को पुनर्वास प्रदान किया। प्रभावित क्षेत्रों में आवश्यक सेवाओं को शीघ्रता से बहाल करना भी आसान है। उस वक्त अश्विनी सिर्फ 29 साल के थे।

(स्रोत : विक्किपीडिया (https://en.wikipedia.org/wiki/Ashwini_Vaishnaw)

गावं का प्यास भुजा अनाथ महिला की संकल्प शक्ति से

4 कर्नाटक में उडुपी जिले के गुन्दापुर तालुक के एक सूखे गांव में, लक्ष्मी पुजार्थी ने चार अन्य महिलाओं के साथ मिलकर हाल ही में 52 फीट गहरा कुआं खोदा। उन्होंने यह पहल अंबार ग्राम पंचायत अंतर्गत विवेकनगर कॉलोनी में की। फिलहाल इस कुएं पर 10 परिवार निर्भर हैं। उन्हें आसपास के इलाके में पीने का पानी लाने के लिए कम से कम दो से तीन किलोमीटर पैदल चलना पड़ता है। छह फीट चौड़ा कुआं खोदने में महिलाओं को लगभग साढ़े तीन महीने लग गए। ग्राम पंचायत को नरेगा अधिनियम के तहत कुआं खोदने के लिए आवंटन मिलता है। कुएं के अंदर रिंग फिटिंग के लिए 1.18 लाख रुपये लगता। पंचायत द्वारा 82,000 रुपये प्रदान किये गये। लक्ष्मी ने 40,000 रुपये की अपनी बचत और नरेगा वेतन के एक हिस्से से लागत का प्रबंधन किया। 60 साल की इस महिला के दृढ़ संकल्प ने पूरे गांव की प्यास बुझा दी। बचपन में अपने माता-पिता की मृत्यु के बाद रिश्तेदारों द्वारा त्याग दी गई लक्ष्मी ने कहा, “मेरे पास परिवार कहने के लिए कोई नहीं है। मुझे पेंशन मिलती है और अगर यह छोटा सा प्रयास दूसरों की मदद करता है, तो यह काफी है।“

(स्रोत: www.indiatimes.com 2016 जुलाई 4)

 

ऊंचे गुण का पाठ पढानेवाले मास्टरजी

5 संतोष कंचन 16 वर्षों से कर्नाटक के शिवमोग्गा जिले के सागर तालुका के वालूर गांव में प्राथमिक विद्यालय के शिक्षक के रूप में काम कर रहे हैं। उन्हें पिछले सप्ताह कुन्दापुरा के वाराही सरकारी स्कूल में स्थानांतरित कर दिया गया था। तब, वालूर के ग्रामीणों ने उन्हें एक बाइक उपहार में दिया। इसके पीछे एक कहानी है। : वर्षों पहले संतोष ने गांव के  बच्चों के बीमार होने पर उन्हें डॉक्टर के पास ले जाने के लिए एक बाइक खरीदी थी, डॉक्टर ने उसका नाम ‘वालूर एम्बुलेंस’ रखा था! संतोष ने संकट के समय में ग्रामीणों तक अपनी बाइक सेवा भी पहुंचाई। वालूर घने जंगल में मुख्य सड़क से 6 किमी दूर स्थित है। 2007 में जब संतोष को उस गांव के एक सरकारी स्कूल में दाखिला मिला तो वह भगवान का वरदान बन गए। वह शाम और रविवार को बच्चों को पढ़ाते थे। वहां के के ‘कुनाबी’ वनवासी (आदिवासी) अच्छी स्थिति में नहीं हैं। हालाँकि गाँव में कोई भी बाइक नहीं खरीद सकता था, फिर भी उन्होंने मास्टर को बाइक उपहार में देकर अपना प्यार और आभार व्यक्त किया।

(स्रोत: न्यू इंडियन एक्सप्रेस, बेंगलुरु, 2024 जनवरी 12)

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