–  प्रशांत पोळ और सीता की दृष्टि, उस अद्भुत हिरण पर पड़ी..! वह मृग सभी अर्थों में विलक्षण था. अत्यंत सुंदर था. अवर्णनीय था. उसे देखते ही जनक नंदिनी सीता में, उस सुवर्ण मय मृग के चमड़े से, आसन बनाने की चाह निर्माण हुई. सीता ने श्रीराम से कहा, “यह […]

M.R.Jambunaathan Ma.Pa. Periyasaami Thooran was a Scholar who compiled the first modern encyclopaedia of Tamil, Pioneer in analysing Mahakavi Subramaniya  Bharati’s works, Classical poet, Translator, Publisher, Lyricist of Tamil music, Composer of children’s songs. As the principal editor of both the first encyclopaedia of Tamil and the children’s encyclopaedia, which […]

दानवों के निर्दालन तथा लंकाधिपती रावण की टोह लेते हुए श्रीराम, जानकी और लक्ष्मण का दंडकारण्यमे प्रवास चल रहा है. ऐसे ही प्रवास करते – करते श्रीराम, जानकी और लक्ष्मण के साथ महर्षी अगस्त्य के आश्रम मे पहुंचे. अगस्त्य ऋषी, मुनी वशिष्ठ के ज्येष्ठ भ्राता है. राजा दशरथ इन्हे अपने […]

– प्रशांत पोळ उडती हुई धूल के साथ आती विशाल सेना को देखकर, लक्ष्मण को लगा कि भरत हम पर आक्रमण करने आ रहे हैं. किंतु श्रीराम ने उन्हें समझाया, कि भरत हमसे युध्द करने आ ही नही सकते. भरत, श्रीराम से मिलकर अत्यधिक भावविभोर हैं. पर्णकुटी मे जानकी और […]

–  प्रशांत पोळ अवधपुरी के राजप्रासाद में श्रीराम के युवराज्याभिषेक की तैयारियां चल रही है. मुहूर्त पर चर्चा हो रही है. राजा दशरथ, श्रीराम को अपने पास बुलाते हैं और कहते हैं, “हे रघुनंदन, मेरे सपनों में अशुभ लक्षण प्रकट हो रहे हैं. इसलिए, शीघ्रता से युवाराज्याभिषेक करना उचित रहेगा. […]

– प्रशांत पोळ श्रीराम, जानकी और लक्ष्मण रथ में बैठकर वनवास के लिए निकले हैं. मंत्री सुमंत्र, उनके रथ के सारथी है. सारी अयोध्या नगरी श्रीराम के वियोग से व्याकुल है. शोकमग्न है. अयोध्यापुरी के सभी आबालवृद्ध पौरजन, श्रीराम के रथ के साथ शोकाकुल अवस्था में चल रहे हैं. वे […]

– प्रशांत पोळ मिथिला. आर्यावर्त के उत्तर – पूर्व दिशा में स्थित एक वैभव संपन्न जनपद, जिसके राजधानी का नाम भी मिथिला है. यह जनपद, लोक कल्याणकारी राज्य का अनुपम उदाहरण है. इस राज्य का नेतृत्व कर रहे हैं, शक्ति और बुद्धि का अपूर्व समन्वय जिन मे है, ऐसे राजा […]

– प्रशांत पोळ मुनीश्रेष्ठ विश्वामित्र के साथ श्रीराम और लक्ष्मण चल रहे हैं. वें गंगा नदी पार कर, दक्षिण तट पर आते हैं. प्रवास पुनः प्रारंभ होता है. अब रास्ते में एक भयानक वन आता है, जिसमें सिंह, व्याघ्र, हाथी जैसे जानवर विचरण कर रहे हैं. किंतु इस वन में […]

–  प्रशांत पोळ सृष्टि के पालनकर्ता, सर्वव्यापी नारायण ने निर्णय लिया है, रावण जैसी आसुरी शक्ति के निर्दालन के लिए, ईश्वाकु कुल के वंशज, राजा दशरथ के पुत्र के रूप में माध्यम बनने का..! राजा दशरथ इसी समय पुत्रकामेष्टि यज्ञ कर रहे हैं. ईश्वर के प्रतिनिधि के रूप में एक […]

– प्रशांत पोळ कालचक्र की गति तेज है. वह घूम रहा है. घूमते – घूमते पीछे जा रहा है. बहुत पीछे. इतिहास के पृष्ठ फड़फड़ाते हुए हमें ले चलते हैं त्रेतायुग में. कई हजार वर्ष पीछे..! इस त्रेतायुग में पृथ्वी पर एक बहुत बड़ा भूभाग है, जिसे आर्यावर्त नाम से […]