He is a swayambu. He was born on June 26, 1906 to Ponnusamy and Sivagami Ammaiyar. Due to family poverty, his schooling stopped with the third standard. After working as a day labourer and weaver for eight years, he joined a newspaper office as a compositor. It was there that […]
Nationalism
“Our Sangh is self-dependent. Whatever we have to spend, we arrange it ourselves. We do not take even a single paisa from outside to run the organization. If someone brings it to us, we return it. The RSS is fully dependent on the Gurudakshina of Swayamsevaks. Every year, offerings are […]
On many respects, Swami Vivekanada was quite an extraordinary sanyasi woven in a different fabric. He stands out as a reformist. When other Hindu swamijis confined to only religious routines such as pooja , yatras , sermons on our religious texts , Swamiji tread a new path. He felt that […]
वे पन्द्रह दिन – समापन *१५ अगस्त के बाद…* – प्रशांत पोळ भारत तो स्वतंत्र हो गया. विभाजित होकर..! परन्तु अब आगे क्या..? दुर्भाग्य से गांधीजी ने मुस्लिम लीग के बारे में जो मासूम सपने पाल रखे थे, वे टूट कर चूर चूर हो गए. *गांधीजी को लगता था, की […]
Those 15 Days 12th August 1948 :Prashant Pole Today is Tuesday, 12th August. Today is also Parama Ekadashi, Ekadashi which comes in Purushottam month. Couple of people around Gandhiji stationed in Sodepur Ashram near Calcutta, have fast on the occasion of Parama Ekadashi. Fruits have been arranged for them. However, […]
वे पन्द्रह दिन *१५ अगस्त, १९४७* – प्रशांत पोळ आज की रात तो भारत मानो सोया ही नहीं है. दिल्ली, मुम्बई, कलकत्ता, मद्रास, बंगलौर, लखनऊ, इंदौर, पटना, बड़ौदा, नागपुर… कितने नाम लिए जाएं. *कल रात से ही देश के कोने-कोने में उत्साह का वातावरण है.* इसीलिए इस पृष्ठभूमि को देखते […]
वे पन्द्रह दिन (हिंदी) १४ अगस्त, १९४७ – प्रशांत पोळ कलकत्ता…. गुरुवार. १४ अगस्त सुबह की ठण्डी हवा भले ही खुशनुमा और प्रसन्न करने वाली हो, परन्तु बेलियाघाट इलाके में ऐसा बिलकुल नहीं है. चारों तरफ फैले कीचड़ के कारण यहां निरंतर एक विशिष्ट प्रकार की बदबू वातावरण में भरी […]
वे पन्द्रह दिन (हिंदी) १३ अगस्त, १९४७ – प्रशांत पोळ मुंबई… जुहू हवाई अड्डा. टाटा एयर सर्विसेज के काउंटर पर आठ-दस महिलाएं खडी है. सभी अनुशासित हैं और उनके चेहरों पर जबरदस्त आत्मविश्वास दिखाई दे रहा है. यह सभी ‘राष्ट्र सेविका समिति’ की सेविकाएं हैं. इनकी प्रमुख संचालिका यानी लक्ष्मीबाई […]
वे पन्द्रह दिन *११ अगस्त, १९४७* – प्रशांत पोळ आज सोमवार होने के बावजूद कलकत्ता शहर से थोड़ा बाहर स्थित सोडेपुर आश्रम में गांधीजी की सुबह वाली प्रार्थना में अच्छी खासी भीड़ हैं. पिछले दो-तीन दिनों से कलकत्ता शहर में शान्ति बनी हुई हैं. गांधीजी की प्रार्थना का प्रभाव यहां […]
वे पन्द्रह दिन *९ अगस्त, १९४७* – प्रशांत पोळ सोडेपुर आश्रम… कलकत्ता के उत्तर में स्थित यह आश्रम वैसे तो शहर के बाहर ही है. यानी कलकत्ता से लगभग आठ-नौ मील की दूरी पर. अत्यंत रमणीय, वृक्षों, पौधों-लताओं से भरापूरा यह सोडेपुर आश्रम, गांधीजी का अत्यधिक पसंदीदा है. जब पिछली […]