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वे पन्द्रह दिन  *१५ अगस्त, १९४७*  – प्रशांत पोळ  आज की रात तो भारत मानो सोया ही नहीं है. दिल्ली, मुम्बई, कलकत्ता, मद्रास, बंगलौर, लखनऊ, इंदौर, पटना, बड़ौदा, नागपुर… कितने नाम लिए जाएं. *कल रात से ही देश के कोने-कोने में उत्साह का वातावरण है.* इसीलिए इस पृष्ठभूमि को देखते […]

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‘खंडित भारत’ की ‘आधी अधूरी’ राजनीतिक स्वतंत्रता  नरेन्द्र सहगल  1942 में हुए ‘अंग्रेजों भारत छोड़ो’ आंदोलन को अपना पूर्ण समर्थन देने के साथ स्वातंत्र्य वीर सावरकर ने एक आशंका प्रकट करते हुए भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस को विशेषतया महात्मा गांधी जी को चेताया था‘‘भारत छोड़ो’ का अंत कहीं भारत तोड़ो न […]

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भारत छोड़ो आंदोलन’ में स्वयंसेवकों की अतुलनीय शहादतें  नरेन्द्र सहगल  संघ संस्थापक डॉक्टर हेडगेवार के देहावसान के बाद संघ के सभी अधिकारी एवं कार्यकर्ता अपने नये सरसंघचालक श्री गुरुजी के नेतृत्व में डॉक्टर जी द्वारा निर्धारित कार्य-विस्तार के लक्ष्य को पूरा करने हेतु परिश्रमपूर्वक जुट गए। श्रीगुरुजी एवं सहयोगी संघ […]